Last modified on 12 सितम्बर 2018, at 16:57

मोन-एक / ककबा करैए प्रेम / निशाकर

Jangveer Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:57, 12 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशाकर |अनुवादक= |संग्रह=ककबा करै...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अकास दिस तकै छी
देखाइए-
भरि अकासक बदरी एक्के ठाम जुमैत
बदरी चलइए
बतास चलइए
बुन्न खसइए।

हमर मोनक अकासमे सेहो
बदरी घुमइए
भावनाक बतास चलइए
शब्दक बुन्न खसइए
कागतक धरती पर
खूब बरखा होइए
मोन नचइए
मोन नहाइए।