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ललना / ककबा करैए प्रेम / निशाकर

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ललना
आब नहि रहलि
असूर्यप्श्या
ओ किसिम-किसिमक खेल खेलइए
कम्पनी चलबैए
नीति बनबैए
देस चलबैए।

ललना
डाँड़ सक्कत कऽ ठाढ़ अछि
ओ पुरुषक मजबूरी नहि
खगता बनि गेलि अछि।