भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैथुन / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
Jangveer Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:33, 12 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशाकर |अनुवादक= |संग्रह=ककबा करै...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जिनगीक केन्द्र छै
मैथुन
एहि लेल करै छै लोक
हत्या
आत्महत्या
बेर-बेर
करै छै वियाह
दै छै तलाक
सभ सुविधा छोड़ि दै छै
प्रेमक आगिमे जरै छै।
प्रकृतिक अद्भुत वरदान छै
मैथुन
एकरे ओजह छै
सभटा जीव-जन्तु
सभटा सिंगार-पटार
सभ कलाक जननी
यैह छै।