हमर कविता बाबाक लाठी बाबीक गंगाजल बाबूक अखबार आ पत्नीक कूकर बनि जाए। हमर कविता ऋतुमे बसन्त चिड़ैमे मयूर रंगमे हरियर आ आकाश मे इन्द्रधनुष बनि जाए। हमर कविता नवयौवनाक हृदय युवाक लोगगीत सेनाक आत्मबल आ विधवाक सहारा बनि जाए।
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