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बाबी / गंग नहौन / निशाकर
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गंगा स्नानक बाद
छाती भरि पानिमे
सुरुजकें अर्ध्य दैत
किछु बुदबुदाइत
फेर गंगा कातमे
बारैत अगरबत्ती
चढ़ाबैत बतस्सा
करैत छथि कोनो कबुला
हमर बाबी।