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कविताएं लिखने की उम्र / बालस्वरूप राही

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कविताएं लिखने की उम्र यही है
मैंने जब खुद से यह बात कही है
मेरा रस-लोभी मन हंस कर यह बोला
धीरज रख, बाकी हैं अभी कई साल।

अभी तो कई नज़रें तुझ पर रुक जाती हैं
और कई शरमा कर
नीचे झुक जाती हैं
देख तुझे अभी कई आंखों में
खिल उठता भोर का गुलाल!
सपनों का यह ख़ुमार
बेहद कम टिकता है
इसे उतर जाने दे!
प्यार भरी यह बयार बहुत कम ठहरती है
इसे गुज़र जाने दे।

रस निचोड़
जीवन का रस निचोड़
जितनी भी ढाल सके ढाल
फिर तो बस तू होगा और कलम तेरी
तेरा बिखराव और तन्मयता मेरी!
भोग की थकान और ऊब स्वयं
कविता बन जाती है
जीवन रस चखे बिना गीतों में
कब मिठास आती है?

अब तक उस का जवाब सोच नहीं पाया मैं
हृदय ने उठाया है जो सवाल।