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जब दिल में नहीं है खोट तो फिर क्यूं डरता है / अनवर फ़र्रूख़ाबादी

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जब दिल में नहीं है खोट तो फिर क्यूं डरता है
नादाँ यहाँ जो करता है वो भरता है
जब दिल में नहीं है खोट तो फिर क्यूं डरता है
नादाँ यहाँ जो करता है वो भरता है
जब दिल में नहीं है खोट तो फिर क्यूं डरता है

कहाँ चला है ठोकर खाने ये रस्ते हैं अनजाने
इक पाप छुपाने की खातिर सौ पाप ना कर दीवाने -२
क्यूं जीते जी मौत का सौदा करता है
नादाँ यहाँ जो करता है वो भरता है
जब दिल में नहीं है खोट तो फिर क्यूं डरता है


तेरा मालिक है रखवाला तुझे मिल जाएगा उजाला
कहते है मिटाने वाले से बढ़कर है बचाने वाला -२
फिर मूरख अपने हाथों से क्यूं मरता है
नादाँ यहाँ जो करता है वो भरता है
जब दिल में नहीं है खोट तो फिर क्यूं डरता है

जब साफ़ तेरा ये दिल है किस बात की फिर मुश्किल है
भगवान् है तेरी रक्षा को इन्साफ तेरी मंजिल है -२
इस राह में तू डर डर के कदम कुओं धरता है
नादाँ यहाँ जो करता है वो भरता है
जब दिल में नहीं है खोट तो फिर क्यूं डरता है
नादाँ यहाँ जो करता है वो भरता है
जब दिल में नहीं है खोट तो फिर क्यूं डरता है