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कोई रंगीं नज़ारा मिल गया है / अनु जसरोटिया

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कोई रंगीं नज़ारा मिल गया है
कि जीने का सहारा मिल गया है

हमारा डूबना भी काम आया
जो डूबे तो किनारा मिल गया है

इक अनजाने सफ़र पर चल पड़ी हूँ
उन आँखों का इशारा मिल गया है

जो बिछुड़ा था किसी पिछले जनम में
वो साथी अब दुबारा मिल गया है

डुबोयेगा हमें क्या कोई तूफ़ाँ
कि मौजों का सहारा मिल गया है

मुक़द्दर पर न हो क्यों नाज़ हम को
जिसे दिल ने पुकारा मिल गया है

हमेशा रास्ता देखा था जिस का
हमें वो जाँ से प्यारा मिल गया है

दिखायेगा हमें जो राहे-मँज़िल
हमें ऐसा सितारा मिल गया है

पिया करते हैं हम जी भर के उस से
हमें गंगा का धारा मिल गया है

'अनु' हम देख कर जी लें गे उस को
हमें इक माह-पारा मिल गया है