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साँस घुटती रही पर बताया नहीं / रंजना वर्मा

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साँस घुटती रही पर बताया नहीं ।
तेरी यादों को भी पर बुलाया नहीं।।

याद में तन तुम्हारी सिहरता रहा
आँसुओं से मगर वो नहाया नहीं।।

दर्द की धुन सुलगती रही रात भर
साज हाथों में था पर बजाया नहीं।।

झनझनाते रहे तार दिल के मगर
पीर का गीत तो गुनगुनाया नहीं।।

तुम तुम्ही बस तुम्हीं थे निगाहों में पर
दिल तुम्हीं को कभी देख पाया नहीं।।

घेर काँटों ने गुल को लिया इस कदर
अधखिली पंखुरी मुस्कुराया नहीं।।

ओस के अश्रु से भीगती हर कली
था भ्रमर को किसी ने लुभाया नहीं।।

आ भी जा यार इक बार फिर लौट कर
 फिर ना कहना कि हम ने बुलाया नहीं।।