आया बसन्त सरकारी / रामकुमार कृषक
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|रचनाकार=रामकुमार कृषक
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|संग्रह=फिर वही आकाश / रामकुमार कृषक
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सतपुड़ा के जंगलों से गुज़रते हुए
आया बसन्त सरकारी रे बबुआ...
आया बसन्त सरकाऽरी... आया बसन्त सरकारी रे
बबुआ... आया... बसन्त...
मिस्टर पे आया मनिस्टर पे आया
साहब पे आया बलिस्टर पे आया
आया बसन्त अधिकारी रे बबुआ... आया बसन्त अधिकाऽरी...
आया बसन्त सरकारी रे बबुआ... आया बसन्त सरकाऽरी...
कोठिन पे आया कि बँगलन पे आया
संसद में आया कि सौधन में आया
आया बसन्त दरबारी रे बबुआ... आया बसन्त दरबाऽरी...
आया बसन्त सरकारी रे बबुआ... आया बसन्त सरकाऽरी...
मन्दिर में आया कि मूरत पे आया
पण्डे-पुजारी की सूरत पे आया
आया बसन्त औतारी रे बबुआ... आया बसन्त औताऽरी...
आया बसन्त सरकारी रे बबुआ... आया बसन्त सरकाऽरी...
खसरों में आया खतौनी में आया
बातों में आया बतौनी में आया
आया बसन्त पटवारी रे बबुआ... आया बसन्त पटवाऽरी...
आया बसन्त सरकारी रे बबुआ... आया बसन्त सरकाऽरी...
मेज़ों पे आया कि पेज़ों पे आया
अपने तो भैया कलेजों पे आया
आया बसन्त अख़बारी रे बबुआ... आया बसन्त अख़बाऽरी...
आया बसन्त सरकारी रे बबुआ... आया बसन्त सरकाऽरी...
15.03.1981