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समुद्र / आईदान सिंह भाटी
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जब सूख जाएगा समुद्र
तिड़क जायेगी मिट्टी
कहाँ जाएंगे-
जल जीवों के सपने?
अनुवाद : सवाईसिंह शेखावत