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सफ़ेद रंग की प्रेमिका / नेहा नरुका

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वह काला था
क्योंकि उसकी मां ने खाया था काला लोहा

मुझे पसंद था काजल
उससे मिलने के बाद मैंने पहली दफा जाना
काले रंग की खूबसूरती, आकर्षण और ताकत को

उसकी सोहबत में मेरी बटन आंखें
बैलगाड़ी का पहिया हो गईं
मैंने उनसे देखा
नग्न भारत माता
धरती पर दहाड़ मारकर रो रही हैं
उनके लंबे घने काले बाल जमीन पर जंगल बने थे
जंगल के बीच-बीच में गड्ढे थे जिनमें रक्त भरा था

मैंने आंखें बंद कर लीं
क्योंकि वे अक्सर ऐसी तस्वीरें देख लेती थीं
जिन्हें देखने के बाद जिंदगी के फलसफे बदल जाते हैं

मुझे वे सारे रंग याद हैं
जिन्हें पहनकर मैं उससे मिलने जाती थी
उस रात भी मैंने काला रंग पहना था
वह रात भी काली थी
और काली थी वह देह भी
हम थे अदृश्य और मौन
हम दो ही थे उस दिन इस पृथ्वी पर
तीसरा कोई नहीं था
ईश्वर भी नहीं

उस रात के बाद सफेद सुबह हुई
मैं उससे बिछड़ गई
और वह मुझसे

मुझे फिर धीरे-धीरे काले रंग के सपने भी आने बंद हो गए
मुझे काला रंग उतना पसंद भी नहीं रहा
पसंद तो मुझे सफेद रंग भी नहीं था
पर यह बात मैंने सबसे छिपाकर रखी

जो रंग चढाओ
वही चढ़ जाता है इसके ऊपर
कोई ‘नहीं’ नहीं दिखता
‘हां हां’ दिखती है बस
यही बात परेशान कर जाती है इस रंग की मुझे
हां! इसे मिट्टी का सबक सिखाया जाए
कीचड़ में घुसाया जाए
रोटी-सा तपाया जाए
तब कुछ खासियत बनती है
मेरा रंग भी सफेद है—
फक् सफेद

पिछले दिनों वह मुझे फिर मिला
जैसे वैज्ञानिक को मिल गया हो वह सूत्र
जो दिमाग की नसों में कहीं खोया था सालों से
उसे केसरिया रंग पसंद है
मुझे भी पसंद है यह रंग लेकिन रंग की तरह ही
मेरे नए जूते इसी रंग के हैं
जिन्हें मैंने अपने हाथों से बनाया है
मेरे पास कुछ मांस था
मैं उससे बना सकती थी कुछ और भी
पर मैंने जूते बनाए

उनके चंगुल से आजाद करके लाऊंगा इस रंग को
जिन्होंने इसे कत्लगाह में तब्दील कर दिया
एक दिन इसी रंग को अपने शरीर पर घिस-घिसकर बनाऊंगा आग
और जलाऊंगा उन्हें
जिन्होंने इसका इस्तेमाल लाश बोने में किया
सिंहासन उगाने में किया

इन्हीं सफेद हाथों से मैंने उसे टोका :
सिर्फ उन्हीं को जलाना जो सूखे हैं और सड़ चुके हैं
जिनसे कोई कोंपल फूट नहीं सकती
चाहे कितना भी सूरज डालो
चाहे कितना भी दो पानी
जिनमें बाकी हो हरापन उन्हें मत जलाना
क्योंकि हरा रंग जलता है तो धुआं भर जाता है चारों तरफ
जलाने वाले का दम भी घुटने लगता है
और कभी-कभी तो आग ही बुझ जाती है
इस तरह सूखे भी बच जाते हैं साबुत

मैंने हरा रंग भर लिया है अपने भीतर
मेरे पैरों में हैं केसरिया जूते
मैंने पहन लिया है काला लोहा
मेरी मां ने गर्भावस्था के दौरान पीया था जिस ‘गाय का दूध’ उसकी मौत के बाद एक शहर ही दफन हो गया उसके शव के नीचे
उस शहर के प्रेत ने मुझे अभिशाप दिया था
सफेद रंग की प्रेमिका होने का

ये काले केसरिया हरे गंदले रंग
मुक्ति के मंत्र हैं
ये मंत्र मैंने उस औरत से लिखवाए हैं
जो सचमुच का काला लोहा खाती है
जिसका शरीर रोटी का तवा है