Last modified on 17 अक्टूबर 2018, at 05:56

दुनिया का अन्त / मिरास्लाव होलुब / राजेश चन्द्र

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:56, 17 अक्टूबर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मिरास्लाव होलुब |अनुवादक=राजेश च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पक्षी अपने गीत के
अन्तिम छोर पर पहुंच गया था
और पेड़ घुलता जा रहा था
अपने पंजों के पास।

आकाश में उमड़-घुमड़ रहे थे मेघ
अन्धियारा बहता ही जाता था
तमाम रन्ध्रों से होकर
डूबते हुए जलयान के परिदृश्य में।

केवल टेलीग्राफ़ के तारों में
एक सन्देश अब भी चटचटा रहा था :

घ----र----आ---जा----ओ।
तु----म्हा----रा---ए-----क ।
बे-----टा-----है---।

अंग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र