भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सुन्दरतम / रोज़ा आउसलेण्डर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:54, 10 नवम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रोज़ा आउसलेण्डर |अनुवादक=प्रतिभ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
प्यार से
बच निकलता हूँ मैं
तुम्हारे जादुई शिविर में
साँस लेते हुए जँगल में
जहाँ घास के सिरे
ख़ुद झुक जाते हैं
क्योंकि
इससे सुन्दर और कुछ नहीं है।
मूल जर्मन भाषा से प्रतिभा उपाध्याय द्वारा अनूदित