भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यो कस्तो रात / राममान तृषित

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:29, 12 नवम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= राममान तृषित |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यो कस्तो रात दियो बदला मुटु जल्छ
यो के वर्षा लिई आगो हावा चल्छ
यो कस्तो रात………………..

कति पिडा कति आशु नशाले नै छुन्न कि जस्तो
अँध्यारो के अँध्यारो यो बिहान नै हुन्न कि जस्तो
यो कस्तो रात ……………..

उनी आउलिन् उनी अाईनन प्रतिक्ष नै सिता जस्तो
जताततै उनैको गीत गुन्जिने शून्यता कस्तो
यो कस्तो रात ……………….