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बातों-बातों में बात कर आए / रवि सिन्हा

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बातों-बातों में बात कर आए 
आज हम भी उन्हें नज़र आए 

आज कुछ रौशनी-सा बरसा है 
आज हम धुल सँवर निखर आए 

हम कहीं और जा पहुँचते हैं 
जब कभी आपके शहर आए

जिनका क़िस्सा है ग़ैर हैं वो तो
फिर भी क्यूँ आँख अपनी भर आए
 
याद करते हैं रोज़ मुद्दत से
याद वो फिर भी रात भर आए 

जो है आज़ार<ref>रोग (illness)</ref> वो ही चारागर<ref>इलाज़ करने वाला (healer)</ref>
दर पे बीमार के अगर आए

उम्र भर उस से चोट खाई है
अब तो दुश्मन कहीं नज़र आए 

तेरा जल्वा हुज़ूरे-नाबीना<ref>अन्धे की निगाह तले (in the sight of the blind)</ref> 
तेरे जलसे में बेख़बर आए 

ये भी मुमकिन है सूरमा-ए-ज़ुबान 
तेरा हर तीर लौटकर आए  

सुर्ख़ ख़ुर्शीद<ref>सूरज (the sun)</ref> बेशरर<ref>बिना चिनगारी के (without sparks)</ref> डूबा 
जाने कैसी यहाँ सहर<ref>सुबह (morning)</ref> आए

हाल सारे जहाँ का सुनते हैं 
काश अपनी भी कुछ ख़बर आए

शब्दार्थ
<references/>