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वर्षा / सुरेन्द्र स्निग्ध

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नेताजी की तबीयत आज खराब हो जाएगी
आज मौसम का मिजाज थोड़ा बिगड़ा है
बाहर हो गई है भीषण वर्षा,
और सारी सड़कें घुटने तक पानी में गई हैं डूब
आज कोई नहीं आएगा दरबार,
दरबार होगा वीरान
बहुत प्रतीक्षा के बाद नेताजी चिल्लाएँगे ऊपर से ही
अरे ओ मोहना --
-- बता तो कितने आदमी हैं नीचे ?
-- सर, एक भी नहीं हैं, बाहर हो रही है बारिस !
फिर ज़ोर से चिल्लाएँगे नेताजी
-- मोहना, सुनो,
सबको कह देना --
आज मेरी तबीयत ठीक नहीं
किसी से नहीं मिलेंगे आज !
फिर स्वतः कथन करते हैं नेताजी
-- साले, सब चले आते हैं
पोस्ट का लड्डू पाने,
आएँगे तो,
नोंच के थमा देंगे साले को
वो....वो...

-- और, नेताजी हो जाते हैं बीमार...।