एक खालीपन है
जो परेशान करता है
रात दिन
यह
उसके होने की खुशी से रौशन
खालीपन नहीं है
जिसमें मैं हवा सी हल्की हो
भागती-दौड़ती
उसे भरती रह सकती हूं
यह
उसके ना होने से पैदा
एक ठोस और अंधेरा खालीपन है
जो अपने भीतर
धंसने नहीं देता मुझे
इस खालीपन को
अपनी हंसी से
गुंजा नहीं सकती मैं
इसमें तो
मेरी रूलाई की भी
रसाई नहीं
यह
ना हंसने देता है
ना रोने
बस
एक अनंत उदासी में
गर्क होने को
छोड़ जाता है
तन्हा ...