भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सौंदर्य / रामेश्वर नाथ मिश्र 'अनुरोध'

Kavita Kosh से
Jangveer Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:19, 15 जनवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वर नाथ मिश्र 'अनुरोध' |अनुव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रमणी मणी-सी चली अलि की अनी समेत ,
पाँव में लगे हैं जनु जावक उमंग के ।

उड़-उड़ ,मुड़-मुड़ झाँकती-सी जाती खिली,
सुख की डली-सी , सुर मदन - मृदंग के ।
 
मंजुल उरोज ज्यों सरोज सुषमा के द्वय,
अथवा मनोज के सुलेख हैं प्रसंग के ।

किंवा किलोल करें चपल हरेक पल ,
कंचुक सुनीड़ में सुशावक विहंग के ।