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बेवजह दिल पे कोई /उर्मिलेश
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Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:09, 20 जनवरी 2019 का अवतरण
बेवजह दिल पे कोई बोझ न भारी रखिये
ज़िन्दगी जंग है इस जंग को जारी रखिये
अब कलम से न लिखा जाएगा इस दौर का हाल
अब तो हाथों में कोई तेज कटारी रखिये
कितने दिन ज़िन्दा रहे इसको न गिनिये साहिब
किस तरह ज़िन्दा रहे इसकी शुमारी रखिये
उसकी पूजा कहीं ईश्वर को न कर दे बदनाम
अब तो मंदिर में कोई और पुजारी रखिये
आपको आपसे बढ कर जो बताएं हरदम
ऐसे लोगों से ज़रा दूर की यारी रखिये
ज़िन्दगी भर के लिए हम न कहेंगे तुमसे
आज,बस आज ज़रा बात हमारी रखिये
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