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कब सीखा पीपल ने भेदभाव करना / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
Kavita Kosh से
धर्म-कर्म
दुनिया में प्राणवायु भरना
कब सीखा पीपल ने
भेदभाव करना
फल हों रसदार
या सुगंधित हों फूल
आम साथ हों
या फिर जंगली बबूल
कब जाना
चिन्ता के
पतझर में झरना
कीट, विहग
जीव, जन्तु
देशी, परदेशी
बुद्ध, विष्णु
भूत, प्रेत
देव या मवेशी
जाने ये
दुनिया में
सबके दुख हरना
जितना ऊँचा है ये
उतना विस्तार
दुनिया के बोधि वृक्ष
इसका परिवार
कालजयी
क्या जाने
मौसम से डरना