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कैनवास, रंग और जीवन / मुन्नी गुप्ता
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समन्दर ने
चिड़िया की हथेली में
तूलिका थमा दी ।
और, गहरे विश्वास से कहा —
रचो, अपने भीतर के आकाश को,
अपने मन के कैनवास पर ।
झाँको,
अपने भीतर की अतल गहराई में
औ’ उतरो गहरे, भीतर और गहरे ।
खींच लाओ उस रंग को,
जो तुम्हारी तूलिका पर चढ़ जाए ।
इस तरह
कैनवास पर रचा जा चुका था
एक जीवन ।