भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जाने वाला चला गया है / विशाल समर्पित

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:12, 8 फ़रवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विशाल समर्पित |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सूना पथ
क्यों देख रहे हो
जाने वाला चला गया है

जिसको पढ़ स्वीकार किया था
प्रेम पगा प्रस्ताव तुम्हारा
जिसको पढ़कर कहता था वह
कितना सुंदर भाव तुम्हारा

आज तुम्हारे
उसी पत्र को
जाते-जाते जला गया है... (1)

कसमें रसमें रोक न पाईं
हर बंधन को तोड गया वो
जीवन भर का वादा करके
क्षणभर में ही छोड़ गया वो

कोई छवि
अब पास नहीं हर
चित्र तुम्हारा गला गया है... (2)

सबके सपने छलती दुनिया
कब तक झूठा जग देखोगे
धूल सनी राहों पर बोलो
कब तक उसके पग देखोगे

तुम मानो
या मत मानो पर
सच में तुमको छला गया है... (3)