Last modified on 11 फ़रवरी 2019, at 14:20

गुलदस्ता / निकलाय रुब्त्सोफ़ / अनिल जनविजय

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:20, 11 फ़रवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निकलाय रुब्त्सोफ़ |अनुवादक=अनिल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैं देर तक साइकिल चलाता रहूँगा
और फिर दूर कहीं
एकान्त जंगल में उगे फूलों को देख
उतर पड़ूँगा साइकिल से
एक गुलदस्ता बनाऊँगा मैं
और ले जाकर दूँगा उस लड़की को
जिसे प्यार करता हूँ मैं

मैं उससे कहूँगा —
किसी दूसरे के साथ है अब तू
भूल चुकी है हमारी वे मुलाक़ातें
ले तुझे भेंट करता हूँ मैं ये साधारण फूल
गुलदस्ता ले लेगी वह

धुन्ध गहरा जाएगी उस शाम
उदास हो उठेगी वह
आँखें झुका लेगी
और मुस्कराए बिना ही आगे बढ़ जाएगी

मैं देर तक साइकिल खींचता रहूँगा
और फिर एकान्त जंगल में
कहीं रुक जाऊँगा

सिर्फ़ इतनी इच्छा है मेरी
कि वह लड़की
जिसे बेहद चाहता हूँ मैं
ले ले मुझसे गुलदस्ता !

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय