भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कृतज्ञताएँ / चेन्जेराई होव / राजेश चन्द्र
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:02, 12 फ़रवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चेन्जेराई होव |अनुवादक=राजेश चन्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अनायास भर आते आँसू,
जीवन की परछाईं
मेरी रूह की हड्डियों में ।
मैं इन्तज़ार कर रहा हूँ बारिश में
इस शुष्क मौसम में भी :
भूख के एक मकान का ।
कोई भी देश जगेगा नहीं अब
किसी भी शहर में होगी नहीं रोशनी :
यह एक नास्तिक की यात्रा है
जिसमें बोते हैं वे केवल काँटे
और धैर्यहीन परिस्थितियाँ ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र