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जन्म-मृत्यु / महेन्द्र भटनागर
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मृत्यु :
जन्म से बँधी
अटूट डोर है,
जन्म :
एक ओर;
मृत्यु :
दूसरा प्रतीप छोर है !
जन्म - एक तट
मरण - विलोम तीर;
जन्म :
हर्ष क्यों ?
मृत्यु :
पीर क्यों ?
जन्म-मृत्यु
जब समान ?
एक / रूपवान;
दूसरा / महानिधान !
जन्म —
सूत्रपात है,
मृत्यु —
नाश है : निघात है !
जन्म ... ज्ञात,
मृत्यु ... अ-ज्ञात !
जन्म : आदि,
मृत्यु : अन्त है !
जन्म : श्रीगणेश,
मृत्यु : क्षिति दिगन्त है !
जन्म : हाँ, हयात है,
मृत्यु : हा! विघात है !
जन्म : नव-प्रभात है,
मृत्यु : घोर रात है !