भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जन्म-मृत्यु / महेन्द्र भटनागर

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:44, 1 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह=मृत्यु-बोध / महेन्द्र भटनागर }}...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मृत्यु :
जन्म से बँधी
अटूट डोर है,

जन्म :
एक ओर;
मृत्यु :
दूसरा प्रतीप छोर है !

जन्म - एक तट
मरण - विलोम तीर;

जन्म :
हर्ष क्यों ?
मृत्यु :
पीर क्यों ?
जन्म-मृत्यु
जब समान  ?

एक / रूपवान;
दूसरा / महानिधान  !


जन्म —
सूत्रपात है,
मृत्यु —
नाश है : निघात है !

जन्म ... ज्ञात,
मृत्यु ... अ-ज्ञात !

जन्म : आदि,
मृत्यु : अन्त है !
जन्म : श्रीगणेश,
मृत्यु : क्षिति दिगन्त है !

जन्म : हाँ, हयात है,
मृत्यु : हा! विघात है !

जन्म : नव-प्रभात है,
मृत्यु : घोर रात है !