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विनती / उमेश बहादुरपुरी
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गद्य पद्य न´् छंद के जानूँ न´् भाषा के ग्यान।
दिला सकऽ हऽ तूँही मइया जग में हमरा पहचान।।
संसकिरित अंगरेजी हिंदी हे ग्यानी के खातिर।
अग्यानी मगही ही हम ओकरो में न´् शातिर।
विनती कर रहलुँ तोहरा से हम बालक नादान।। दिला...
हम्मर बाजी तोर हाँथ में रखिहा मइया लाज।
न´् सरसता वाणी में हे अधूरा हम्मर साज।
हमरा रस्ता न´् सूझे हम राही अंजान।। दिला...
कोय कहऽ हे वीणापाणी कोय मइया शारदे।
हमरा जइसन अग्यानी बोले मइया हमरा तार दे।
चाहऽ त हो जाय मइया पल भर में उत्थान।। दिला...
ऐसन कुछ लिखवा दे मइया देके आशीर्वाद।
मिट गेला पर अमर रहूँ हम लोग करथ फिर याद।
हमरो तूँ करवा दऽ मइया साहित-रस के पान।। दिला...