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मंगल-गीत / उमेश बहादुरपुरी

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मंगल दिन हे माता के सब मिल के गाबऽ रे।
मंगल दिन हे दाता के सब खिलके गाबऽ रे।।
नाचऽ गाबऽ खुसी मनाबऽ गम के कउनो बात न´्।
मइया के दर अइलऽ हें एकरा से बड़ सौगात न´्
मंगल दिन नवराता के सब नचके गाबऽ रे।।
आँधी-तुफाँ अइतै न´् न´् छइतै कारी-बदरिया।
सुन लऽ मइया के जयकारा से गूँजऽ हे नगरिया।
मंगल-दिन जगराता के सब हिल-मिल गाबऽ रे।।
सुख में रहबै दुख में रहबै मइया के दर अइबै।
जो कुछ भी हो जाये भइया हम तो मइया के गइबै।
मंगल दिन जग-माता के सब उछल के गाबऽ रे।।