अमूल्य गीत एक बेमिसाल चाहिए.
सटीक छंद शिल्प का कमाल चाहिए.
न माल चाहिए न चाहिए उसे किला।
गरीब पेट को सदैव दाल चाहिए.
लगा रहे सदैव आग वे समाज में,
जिन्हें चुनाव के लिए बवाल चाहिए.
जवान हिन्द देश के अबूझ शेर हैं,
जिन्हें शिकार के लिए न जाल चाहिए.
अनेक न्यायपीठ किन्तु है न एक भी,
जिसे न न्याय को अनेक साल चाहिए.
अनेक काम हो रहे अवैध देश में,
जमीर की न फिक्र सिर्फ़ माल चाहिए.
सदैव लक्ष्य को अटूट कर्म साधता,
अदृश्य भाग्य की हमें न ढाल चाहिए.
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आधार छन्द-अनंद (14 वर्णिक)
सुगम मापनी-लगा 7
पारम्परिक सूत्र-ज र ज र ल ग