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आशा / उमेश बहादुरपुरी

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कब्बे मरल रहतूँ हल हमरा जिअइले हे आशा।
बोल भइबा-बोल बहिनी जय-जय-जय मगही भाषा।
कोय दगाबाज हे कोई रंगबाज।
कोय-कोय सीधा कोय जादे बदमाश।
झूठे के हमरा देहे सब कोय दिलाशा।। बोल भइबा ....
मगही-मइया के हे चार करोड़ बेटबा।
कोय कमजोर हे बाँधे कोय फेटबा।
हे जे बरिआर जादे उहे देहे झाँसा।। बोल भइबा ....
तोता बोले राम-राम चिहुँके हे मोरबा।
कोय बइमान भेल कोय भेल चोरबा।
होल जे बेसरमी जीते उहे पासा।। बोल भइबा .....