Last modified on 11 मार्च 2019, at 13:41

श्याम का रात दिन स्मरण चाहिये / रंजना वर्मा

सशुल्क योगदानकर्ता ४ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:41, 11 मार्च 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} <poem> श्याम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

श्याम का रात-दिन स्मरण चाहिए.
भक्ति में डूबता मन-गगन चाहिए॥

कोई सहजो न मीरा न रसखान ही
सूर को दर्श हित दो नयन चाहिए॥

द्वारिकाधीश जायें करें राज्य भी
राधिका को तो अपना किशन चाहिए॥

गोपियों को न ऐश्वर्य की कामना
बस उन्हें साँवरे का सपन चाहिए॥

था उबारा कन्हैया ने गजराज को
श्याम को भक्त का बस नमन चाहिए॥

अब करूँ भी क्या दौलत या सम्मान का
साँवरे श्याम की जब लगन चाहिए॥

कन्हैया पड़ी द्वार पर हूँ तेरे
अब कृपा का तेरी आचमन चाहिए॥