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नित नये पन्थ का आकलन चाहिये / रंजना वर्मा

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नये पंथ का आकलन चाहिए.
सिंधु लहरों का शशि को नमन चाहिए॥

नाप लें विश्व को हैं उड़ानें वही
एक उन्मुक्त खग को गगन चाहिए॥

अब कलाई न भाई की सूनी रहे
घर में प्यारी सभी को बहन चाहिए॥

एक हिम्मत भरा चाहिए हौसला
जो दिलों में जले वह अगन चाहिए॥

भावना की अहल्या युगों से पड़ी
मुक्ति हित राम जी का चरन चाहिए॥

नीर सरिता बहाती रहे सर्वदा
पत्थरों से उसे भी पतन चाहिए॥

ढूँढ़ती है सुमन नित्य मधुमक्षिका
फूल कलियों भरा एक चमन चाहिए॥