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जीवन में इतना ही जाना / रंजना वर्मा

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जीवन में इतना ही जाना।
मां के पग में रहा ठिकाना॥

नमन करूं माँ के चरणों में
नैया मेरी पार लगाना॥

विनय सुने मेरी माँ वाणी
भाव सुमन का मिले खजाना॥

चरण कमल का दर्शन पाऊँ
सृजन छंद का हो मनमाना॥

काव्य कामिनी चुनरी ओढ़े
नित्य रहे घर आना-जाना॥

चुन चुन कर प्रसून भावों के
चाहूँ माँ की डगर सजाना॥

बस जाओ मन के मंदिर में
माँ अब कभी लौट मत जाना॥