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से लाले लाल हो / उमेश बहादुरपुरी

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ललकी चुनरिया ओढ़के अइती महरनियाँ,
अइती महरनियाँ से लाले लाल हो,
जने डालऽ ही नजरिया ओने लाले-लाल हो
ललकी...
जहमा जहमा जाही भइया मनमा नाहीं लागे
मइया के सूरतिया हे अँखिया के आगे
मनमा कहऽ हे मोरा मनमा कहऽ हे
मइया के डगरिया हे लाले-लाल हो
जने...
रतिया में सूतला पर आबऽ हे सपनमाँ
हमरा तूँ दे जा माई आके दरसनमाँ
हमरा लागे भइया मोरा हमरा लागे भइया मोरा
मइया के अटरिया हे लाले-लाल हो
जने....
कहिओ नञ् छोड़बइ माई तोहरो पूजनमा
तोहरा रिझाई लेबइ गाई के भजनमा
ऐसन लागे भइया मोरा ऐसन लागे भइया मोरा
मइया के नगरिया है लाले-लाल हो
जने....