Last modified on 16 मार्च 2019, at 11:38

यह बोझ / रुडयार्ड किपलिंग / तरुण त्रिपाठी

सशुल्क योगदानकर्ता ४ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:38, 16 मार्च 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रुडयार्ड किपलिंग |अनुवादक=तरुण त...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक दुख पड़ा रहता है मेरे ऊपर
पूरे साल हर दिन
जिसमें कोई भी मदद नहीं कर सकता,
जिसको कोई भी सुन नहीं सकता,
जिसका कोई भी अंत नहीं दिखता:
होता, तो बस ये कि फिर-फिर होता–
आह! *मेरी मैग्डलिन,
इतनी पीड़ा और कहाँ है?

अपयश के स्वप्न देखना
हर दिन हर घंटे–
कोई ईमानदारी नहीं होना
कुछ भी में जो करें या कहें
सुबह से शाम तक झूठ बोलना–
और जानना कि निरर्थक हैं मेरे झूठ–
आह! मेरी मैग्डलिन,
इतनी पीड़ा और कहाँ है?

अपने अडिग डर को पाना
आड़े आते अपने हर रास्ते में
पूरे साल हर दिन–
हर दिन के हर घंटे:
जलने और ठन्डे पड़ने के बीच विचरना
फिर से थरथरा के बबूला होना–
आह! मेरी मैग्डलिन<ref>यीशू के साथ यात्रा करने वाली उनकी एक शिष्या, जिसने उनका पुनर्जीवित होना देखा था</ref>,
इतनी पीड़ा और कहाँ है:

"एक कब्र दी गयी थी मुझे
मेरी रखवाली के लिए क़यामत के दिन तक
लेकिन भगवान ने स्वर्ग से नीचे देखा
और ये पत्थर दूर हटा दिया!
मेरे तमाम सालों के एक दिन–
उस दिन की एक बेला–
उसके दूत ने मेरे आँसू देखे
और ये पत्थर दूर हटा दिया!"