भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक अनुरोध / रुडयार्ड किपलिंग / तरुण त्रिपाठी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ४ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:03, 16 मार्च 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रुडयार्ड किपलिंग |अनुवादक=तरुण त...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अगर मैंने आपको आनंद दिया है
कुछ भी से, जो मैंने किया है
तो मुझे उस रात में सुकून से रहने दें
जो शीघ्र आपकी होगी

और उस थोड़े से थोड़े भी वक़्त के लिए
अगर ये मृतक मस्तिष्क में जी उठे
तो और कहीं कोई सवाल-ज़वाब न हो
सिवा उनसे जो मैं छोड़ जा रहा हूँ पुस्तकें...

{..'किपलिंग' ने अपने निजी तथा अप्रकाशित लेखनों का एक बंडल अपनी मृत्यु से पहले जला डाला था.. वे अपने प्राइवेसी के प्रति बहुत सख़्त थे..}