भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्रूर नियति के खेल निराले / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ४ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:55, 19 मार्च 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=शाम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क्रूर नियति के खेल निराले
क्यों तू मन को व्यर्थ सँभाले

ऐसों का विश्वास न करना
तन के उजले मन के काले

सुख में सबने साथ निभाया
दुख की थाती राम हवाले

मन में पीर छुपाए रखना
हैं सब दर्द बढ़ाने वाले

जाकर अपनो को समझा दो
वो बाहों में नाग न पाले