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पग मंडणा / रेंवतदान चारण

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मंडता जावै धरती माथै, पग मंडता इतियास रा
सूरज उगतौ करै सिलांमी, तारा हंसै अकास रा!

अै हिम्मत रा हाथ जकां में, इन्कलाब री अद्भुत सगती
बंटनै रहसी गिणिया दिन में, हमैं मुलक री धन रै धरती
भूख बेकारी मिटनै रहसी, अै पग है विसवास रा
मंडता जावै धरती माथै, पग मंडणा इतियास रा
सूरज उगतौ करै सिलांमी, तारा हंसै अकास रा!

देख मिनख री करड़ी मैणत, सैचन्नण संचारै है
मोत्यां जैड़ी निपजै खेती, माटी रूप संवारै है
बीत चुकी अंधियारी रातां, आया दिन उजियास रा
मंडता जावै धरती माथै, पग मंडणा इतियास रा

बांध बणै नैरां खुद जावै, नवौ धांन मुळकावैला
नवै देस रौ नवौ मांनखौ, नवा गीतड़ा गावैला
चारूं कांनी नवी चेतना, नवा कदम है आस रा
मंडता जावै धरती माथै, पग मंडणा इतियास रा!
सूरज उगतौ करै सिलांमी, तारा हंसै अकास रा!