भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दिल से दिल का इशारा हुआ / कविता विकास
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:05, 12 अप्रैल 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता विकास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
दिल से दिल का इशारा हुआ
ख़ूबसूरत नज़ारा हुआ
जब तलक दूर था, था, मगर
अब वह आँखों का तारा हुआ
देह माटी की मूरत लगी
मौत का जब इशारा हुआ
तेरी यादें ही सहलाती हैं
हिज़्र का जब भी मारा हुआ
जमती है अपनी दरियादिली
इसलिए सबका यारा हुआ
सारे जग से रहा जीतता
तुमसे ही पर हूँ हारा हुआ
माँ की बातों का पालन किया
ऐसे ही थोड़ी प्यारा हुआ
मान–सम्मान देता हो जो
बस वही बच्चा न्यारा हुआ