भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अभिवादन / एज़रा पाउंड / एम० एस० पटेल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:52, 17 अप्रैल 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एज़रा पाउंड |अनुवादक=एम० एस० पटेल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
ओ पूरी तरह आत्मतुष्ट
और पूरी तरह बेचैन पीढ़ी,
धूप में सैर-सपाटे करते मछुआरों को मैंने देखा है,
उन्हें अस्त-व्यस्त गृहस्थियों के साथ मैंने देखा है,
उनकी भरपूर मुस्कानें मैंने देखी हैं,
और उनकी फूहड़ हँसी मैंने सुनी है ।
तुमसे मैं सुखी हूँ
मुझसे वे सुखी थे,
अपने कपड़ों के बिना भी
मछलियाँ झील में तैरती हैं।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : एम० एस० पटेल