Last modified on 23 अप्रैल 2019, at 23:28

बयान मेरी ग़ज़ल का / बाल गंगाधर 'बागी'

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:28, 23 अप्रैल 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बाल गंगाधर 'बागी' |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बस्तियों में दलितों के, बदहाल है मेरी ग़ज़ल
क्यों आंसू के हर बूंद में, सैलाब है मेरी ग़ज़ल
बिरसा के बाणों की, बरसात है मेरी ग़ज़ल
फूलन के गोलियों की, बौछार है मेरी ग़ज़ल

सावित्री की शिक्षा की, ज्योति की ज्वाला में
बाबा कांशीराम की, ललकार है मेरी ग़ज़ल
सुरा-सुन्दरी से उनकी, कवितायें संलिप्त हैं
दलित अस्मिता की खड़ी, चट्टान है मेरी ग़ज़ल

पेट भर मिलती अगर, रोटी तो कुछ तो सोचते
बिखरी चैन के नीदों का, संताप है मेरी ग़ज़ल
क्यों देवासुर संग्राम तो, अब तक नहीं है बन्द
अधिकार के संग्राम में, चंडाल है मेरी ग़ज़ल

खो गये अपनी ही गली, नुक्कड़ों चौराहों पर
अजनबी सी अपनी ए, पहचान है मेरी ग़ज़ल
‘बाग़ी’ कितने लड़ाइयों की, यहाँ लड़ियां मिलेंगी
अब सांस्कृतिक संग्राम की, कमान है मेरी ग़ज़ल