भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हवा चलेगी मगर सितारा नहीं चलेगा / जावेद अनवर

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:53, 29 अप्रैल 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जावेद अनवर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGh...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हवा चलेगी मगर सितारा नहीं चलेगा
समुन्दरों में तिरा इशारा नहीं चलेगा

यही रहेंगे ये दर ये गलियाँ यही रहेंगी
तुम्ही चलोगे कोई नज़ारा नहीं चलेगा

शब-ए-सफ़र है हथेलियों पर भँवर उगेंगे
तुम्हारे हम-राह अब किनारा नहीं चलेगा

सुनो कि अब हम गुलाब देंगे गुलाब लेंगे
मोहब्बतों में कोई ख़सारा नहीं चलेगा

बहार मक़रूज़ है घरों और मक़बरों की
गुलों पे रस्तों का ही इजारा नहीं चलेगा