भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

करबै काम जरूर / ब्रह्मदेव कुमार

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:38, 3 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रह्मदेव कुमार |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaRac...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हे राजा, मत जा दूर
नरेगा में करबै काम जरूर।
नरेगा में करबै काम जरूर।
हे राजा, मत जा दूर॥
दरखास लिखी-लिखी पंचायतोॅ में जैबै
निबंधन करैबै जरूर।
हे राजा, मत जा दूर॥
पन्द्रह दिनोॅ में जाॅब कार्ड मिलतै।
कामोॅ मिलतै जरूर।
हे राजा, मत जा दूर॥
गाम्हैं में ठाम्हैं कामोॅ जे मिलतै।
सालोॅ में सोॅ दिन जरूर॥
हे राजा, मत जा दूर
खाता खोलबै, डाकघर-बैंकोॅ में।
मजदूरी न्यूनतम जरूर॥
हे राजा, मत जा दूर
नुनुवों केॅ लैकेॅ, साथै में जैबै।
वाँहीं खेलतै जरूर॥
हे राजा, मत जा दूर
काम करी-करी, पैसा कमैबै।
टीका गढ़ैबै जरूर॥
हे राजा, मत जा दूर
सभ्भैं मिली-मिली, नरेगा के गुण गैबै।
नरेगा केॅ गुन गैबै जरूर॥
हे राजा, मत जा दूर