भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जरूरी छै एकरोॅ व्यवहार / ब्रह्मदेव कुमार
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:41, 3 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रह्मदेव कुमार |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaRac...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आयोडीन नमक व्यवहार
व्यवहार करोॅ भैया।
आयोडीन नमक नै खैभोॅ तेॅ हानि
मरदोॅ केॅ हानि, जनानियोॅ केॅ हानि।
बचबोॅ पर हानि के मार
मार हो भैया, आयोडीन नमक व्यवहार॥
पेटोॅ में बच्चा के, विकास नै होथौं
अंग-भंग होथौं, उमंग नै होथौं।
होथौं नै बुद्धि अपार
अपार हो भैया, आयोडीन नमक व्यवहार॥
गला में होथौं, जे बड़का ठो घेघोॅ
कैह्नों कुरूप कैह्नों बड़का ठो लेधोॅ।
होथौं जे जिनगी बेकार
बेकार हो भैया, आयोडीन नमक व्यवहार॥
एक चम्मच आयोडीन, सौसे जिनगी के
राम-बाण छेकै, ई सुन्दर जिनगी के।
जिनगी केॅ करोॅ साकार
साकार हो भैया, आयोडीन नमक व्यवहार॥
सुईया के नोंक भरी, रोजे जरूरी
दूर करथौं तन-मन के, सब्भे कमजोरी।
जरूरी छै एकरोॅ व्यवहार
व्यवहार हो भैया, आयोडीन नमक व्यवहार॥