भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दूर सबसे जा रहा वह आजकल / मृदुला झा
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:29, 4 मई 2019 का अवतरण (Rahul Shivay ने दूर सबसे जा रहा वह आजकलए / मृदुला झा पृष्ठ दूर सबसे जा रहा वह आजकल / मृदुला झा पर स्थानां...)
कौन देता है उसे शह आजकल।
झूठ का व्यापार सब करने लगेए
क्या तमाशा हो रहा यह आजकल।
अपने लोगों से मिली दुशवारियांए
बेटियां उसको रही सह आजकल।
हैं बहुत शिकवा.शिकायत अपनों सेए
प्रेम का मंदिर रहा ढह आजकल।
हैं दिलों की दूरियां जबसे बढ़ीए
दांव दुश्मन के रहे सह आजकल।