Last modified on 6 मई 2019, at 23:32

आजादी / कविता कानन / रंजना वर्मा

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:32, 6 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=कवि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

छिपे है
कितने अर्थ
इस एक शब्द
'आजादी' में।
आजादी
विदेशी शक्तियों से,
आक्रांताओं से।
उसे मिले तो
बीत चुके
कई दशक
अपना स्वतंत्र देश
अपनी सरकार
किसे नहीं है
दरकार ?
परन्तु गरीबी
मंहगाई
भ्रष्टाचार
रिश्वत खोरी
धोखा , ठगी
इनसे नहीं मिली
आज तक आजादी।
कब आयेगा
वह दिन
जब हम होंगे
सचमुच स्वतंत्र
अपनी बुराइयों
कमियों और
दोषों से ?
बिना उस के
नही कर सकेंगें
हम आजाद
पूर्ण स्वतंत्र
सुखी राष्ट्र का
निर्माण ....