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क्या कहूँ / कविता कानन / रंजना वर्मा
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नन्ही बच्ची
आँखों से बहते आँसू
चेहरे पर
दर्द की लकीरें
बिलख रही है
सोच रही है
किस से क्या कहूँ ?
पाया अनचाहा जन्म
उपेक्षित जीवन
और अब
इस नन्ही सी उम्र में
लूट ली गयी अस्मिता
एक अपने ने ही
कर दिया
दामन तार तार ।
मन पर
डाल दीं खरोंचे
कई हजार ।
कर दिया घायल
तन और मन
घायल हो गयी
फरिश्ते सी आत्मा
सोच रही है
बिलखती बच्ची
किस से कहूँ
अपनी पीड़ा
और
क्या कहूँ ?