Last modified on 8 मई 2019, at 12:24

काळ बरस रौ बारामासौ (काती) / रेंवतदान चारण

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:24, 8 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेंवतदान चारण |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मीठा मतीरा होवता नै मीठा काचर बोर
कीकर ई दिन काढता हिवड़ौ लेत हिलोर

कांई लेवां कातीसरौ निपज्यौ नहीं कोई धांन
काळ पड्यां रहसी कियां मिनखपणा रो मांन

काती महीणौ काळ रौ तीसूं ई दिन तिरकाळ
तौइ दिवाळी रात में दिवटां री दिपमाळ

सीयाळै भूखा पसु तन में रह्यौ न गाढ
डिगता हालै डांगरा हाय निकळग्या हाड