भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दूध पिये भैया / फुलवारी / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:14, 9 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=फुल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इमली की चटनी
और मक्की की रोटी।
अंबर ने बाँधी है
चांद की लंगोटी॥
बाबा खाये रोटी
दूध पिये भैया।
अम्मा के बक्से में
छाछ सा रुपैया॥