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ओ जीवन की सुकुमार कली / गीत गुंजन / रंजना वर्मा

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ओ जीवन की सुकुमार कली !
      पीड़ा में भी मुस्काती जा॥

जीवन में पग-पग पर काँटे
तुझको घायल कर जायेंगे।
कितने मतवाले अलि आकर
तेरा यौवन छल जायेंगे।

अस्मिता रहे तेरी अक्षत
       काँटो में फूल खिलाती जा।
ओ जीवन की सुकुमार कली
       पीड़ा में भी मुस्काती जा॥

दिग्भ्रान्त करेंगे कितने ही
आँधी तूफान तुझे पथ में।
पतवार करों से छूटेगी
नैराश्य भरेगा जीवन में।

ले जीवन की नन्ही नौका
       तूफानों से टकराती जा।
ओ जीवन की सुकुमार कली
       पीड़ा में भी मुस्काती जा॥

है साथ नहीं कोई तो क्या
कर सिर्फ भरोसा बाहों पर।
आती ही रहती हैं अनगिन
बाधाएं सब की राहों पर

बाधाओं से क्या घबराना
       बढ़ इनको दूर हटाती जा।
ओ जीवन की सुकुमार कली
       पीड़ा में भी मुस्काती जा॥